कुछ प्रतिबंधित है.. कुछ मर्यादाएं..

कुछ प्रतिबंधित है
कुछ मर्यादाएं
भीतर ही भीतर एक जंग है
जिसमें मै खुदसे हारूँगी नही
मैं अकेला सैनिक और मैं दुश्मन
जीत अवश्य सैनिक की होगी
फिर सोचती हूं
जिसे दूर करना चाहती हु
वो तो दिल में
उसकी रगों में
घुसपैठिया बनकर
आ चुका है
आतंक किससे?
अपनेही विचारोंसे?
अपनिहि सीमाओसे?
अपनिहि मर्यादाओंसे?
शरीर को चलाता है दिमाग
और दिल को सेहरा में छोड़ आता है..
हम कहते रहे..
हमारे विचारों की जय हो
और जीत कर कांटो में बैठा था दिल..
दिल से..🌹
दिमागसे..🕉
समाजसे..🌅
विचारोंसे..🙏
कामिनी खन्ना..
26 मार्च 2020
सुबह..10 बजके 5 मिनट।

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