पूर्वा चली और मदमस्त नार
सावन की छिड़ी फुहार..
झूले के हिंडोले
सजना के सपने
मीठे बोल गाते है अपने
सिहरने लगी कुवार
सावन की छिड़ी फुहार…
मन कि उमंगे
तन की तरंगें
आँचल का दिल
अरमानो के दंगे
लगाते है बड़ी गुहार
सावन की छिड़ी फुहार..
पपीहा बैरी मोर बांवरा
उसपरसे सैयां का
रूप सावरा
रिमझिमसी आँखोकि बौछार
सावन की छिड़ी फुहार…
बस कर ..नटखट
जतन कर झटपट
मिलन हो कान्हा से
बैन हुए अटपट
बिरहा की नैनोसे धार
सावन की छिड़ी फ़ुहार…
कामिनी खन्ना🌻🌈
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