फिर मेरे साथ एक दैविक घटना हुयी

जय जीवदानी
जय श्री कृष्णा
फिर मेरे साथ एक दैविक घटना हुयी जो मुझे आपके साथ शेयर करना है…
मैं जन्माष्टमी आने से आठ दस दिन पहले से तैयारी शुरू कर देती हूँ…
इस बार भी मैंने मंदिर साफ करना, सजाना शुरू कर दिया था…
२५६ भोग लगता है हर साल मेरे घर लेकिन बिल्कुल कोई हेल्पर नहीं हैं मेरे घर पर कोरोना लॉक डाउन कि वजह से…
बहुत परेशान हो रही थी कि २५६ भोग आठ लोग मिल कर बनाते हैं उसमें से ६०- ७० भोग घर में बनता था…और बाक़ी बाज़ार से आता था…तो अब कौन बनाएगा….
ये सोच कर जितना लोगों से पूछती सलाह लेती…सब यही बोलते आप एक चीज़ हलवा बना दीजिये…
किसी ने कहा पांच चीज़ बना दीजिये…
घर वालों ने कहा हम इतने बर्तन नहीं माज पाएंगे…आप कुछ मत करिए…सिंपल पूजा कीजिये…जैसे रोज़ करती हैं…
तो एक दिन मेरे भाई गोविंदा का फ़ोन आया…तो उसने कहा कि बेबी तुम कितना अच्छा भोग लगाती हो भगवान श्रीकृष्ण को बहुत अच्छा लगता है और मुझे ऐसा लगा कि भगवान श्रीकृष्ण ने सन्देशा भेजा कि भोग लगाओ…
अब मैंने कृष्णा से मन ही मन और जीवदानी से मन ही मन कह दिया कि अगर मैं सामान मंगा लेती हूँ और मेरी तबीयत ख़राब हो जाती है…या कुछ भी होता है…अड़चन आती है तो आप जानना मैं छोड़ दूँगी…कुछ नहीं होगा तो कुछ नहीं करुँगी…
और मैंने धीरे-धीरे तैयारी शुरू कर दी फिर मैं कुछ लेने नहीं गयी क्यूंकि मैं बाहर कुछ लेने नहीं जा रही हूँ….
तो कुछ सामान मेरे बच्चे लाये कुछ राशन वालों ने भेजा…कुछ भाजी वालों ने ऑन कॉल भेजा उनकी पेमेंट मैंने ऑनलाइन कर दी…
फिर मैंने तैयारी धीरे धीरे शुरू कर दी क्यूँकि ऑफिस का भी बहुत काम है रोज़ घर का खाना बनाना इसी से फुर्सत नहीं मिल रही थी…
ऊपर से एक्स्ट्रा काम था तो, फिर ऑफिस का काम एक हफ्ते में ज़्यादा करके खत्म किया…
और फिर सोचा अगले हफ्ते में दो तीन दिन लगातार ये काम करुँगी…और फिर शुरू किया…
एक दिन पहले सब सब्जियां काटी, फिर सब कटी सब्जियां देख कर सोचने लग गयी कि इतनी सारी सब्जियां मैं कैसे बनाउंगी…
तक़रीबन तीन चार थाली भर के कटोरियों में छोटी छोटी सब्जियां रखी थी….
और फिर आज का दिन आया…जन्माष्टमी गोपाल काला….
साथ साथ में मुझे कमाना खाना youtube/kamanakhana मेरे cooking channel के लिए भी shoot करना था…तो कल से उसकी shoot चालू थी और आज भी उसकी shoot निरंतर रही…
इसी जन्माष्टमी भोग के लिए और मैंने शुरू किया बनाना तो सुबह जो routine में बनाती हूँ…वो सब चलता रहा…उसके बाद जैसे नहा धो के आके लगी मैंने shoot भी किया…और फिर shoot बंद करके बनाना शुरू किया…
सब बरतन मैंने इकट्ठे छोटे-छोटे कर लिए थे ताकि बच्चों को माजना ना पड़े…
सब बर्तन मैंने सजाने के परोसने के इकट्ठे कर लिए एक दिन पहले तो शुरू किया…
आप यक़ीन मानिए कि तकरीबन ३३ चीज़ें मेरी दो घंटे में बन गयी…साढ़े दस से साढ़े बारह के बीच और उठा कर मैंने मंदिर में रख दिया…सजा दिया…
३३ चीज़ और मैं जब बना रही थी तो बीच में जो भूल गयी थी कसार बनाना बेसन का तो किसी का फ़ोन आया कि जब हम पिछले बार जन्माष्टमी गोपाल काला पर आये थे तो आपने बेसन के लड्डू बहुत अच्छे बनाये थे…
तो मुझे याद आया कि मैंने बेसन का लड्डू नहीं बनाया…कृष्णा ने सन्देशा भेजा, फिर मैं तुरंत बेसन का कसार बनाया…
फिर मुझे याद आया कि कृष्णा को पांच साग चाहिए वो भी नहीं बनाया है…कढ़ी भी नहीं बनी है…
ऐसे करते-करते माता रानी का
चना हलवा पूड़ी, महादेव का खीर ऐसे करते करते भगवान याद दिला रहे थे और जो भी चीज़ बना रही थी उस चीज़ के जितने मसाले थे वो सब डाल रही थी…
और फिर एक-एक करके भगवान याद दिला रहे थे कि ये भी चाहिए….और मुखवास भी चाहिए लॉन्ग भी चाहिए…इलायची भी चाहिए…और मैं सजाती गयी…याद आता गया एक-एक करके जैसे कोई याद दिला रहा था खड़े होकर…
ना मेरे हाथ काँपे ना मेरी टाँगे कांपी, ना मेरी धड़कन बढ़ी, ना मेरी बॉडी दुखा लगातार चारों चूल्हे जल रहे थे…
और मैं काम कर रही थी…मेरी बेटी को बहुत अचरज हुआ कि इतनी सारी सब्जियां मम्मी ने कैसे बनायीं,
बहुत थोड़ी-थोड़ी थी, छोटी-छोटी कढाहियों में बनायीं थी मैंने, लेकिन मुझे भी देख कर अचरज हुआ कि सच में मैंने ३३ चीज़ें बनायीं फिर बाहर की कुछ चीज़ें थीं सब मिला कर १०३ चीज़ों का भोग लगा…
फिर मंदिर की सेवा हुयी…
मैडिटेशन हुआ…
जय श्रीकृष्ण,
जय जीवदानी….

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