थकन है दोस्त..
क्या दो घड़ी तुम्हारे कांधे पर सुस्ता लूँ.
भर आया है मन..
क्या लग जाऊँ गले..
रिश्ते को नाम न देना..
बस वो लम्हा उधार ले लूँगी तुमसे..
धन्यवाद नहीं कहूँगी..
बतियाऊँगी भी नहीं..
ख़ामोशी रहने देना..
मनो को मजबूर मत करना..
वो अहसान की भाषा..
एक सहज इंसानी भावना..
दोस्त हो न मेरे..
बदनाम न करना..
मुझे नहीं चाहिए मदद..
दो आत्मीय आँखें..
उनकी सहजता..
मेरे हालातों से तुम्हारा वास्ता..
भरोसा..
बांटोगे नहीं इश्तिहार..
करोगे नहीं
शब्द प्रहार..
सिल्क सी मुलायम घड़ियाँ
नोचोगे नहीं..
दे दोगे कीमती समय..
उलझाओगे नहीं
धागों को..
बुन लूँगी एक स्वेटर तुम्हारा भी.. चुपचाप..
इन सर्दियों में..
याद है तुम्हारे सीने का साइज़..
गले जो लगी थी..
जो गर्माहट मैंने महसूस की..
तुम भी कर लेना..
बस आदर करना..
मेरे बुरे समय का..
कामिनी खन्ना🌻
तारीख 20 अप्रैल 2021🌻
समय .रात्रि के 9 बजे🌻