पूर्वा चली और मदमस्त नार..
पूर्वा चली और मदमस्त नारसावन की छिड़ी फुहार..झूले के हिंडोलेसजना के सपनेमीठे बोल गाते है अपनेसिहरने लगी कुवारसावन की छिड़ी फुहार…मन कि उमंगेतन की तरंगेंआँचल का दिलअरमानो के दंगेलगाते है बड़ी गुहारसावन की छिड़ी फुहार..पपीहा बैरी मोर बांवराउसपरसे सैयां कारूप सावरारिमझिमसी आँखोकि बौछारसावन की छिड़ी फुहार…बस कर ..नटखटजतन कर झटपटमिलन हो कान्हा सेबैन हुए अटपटबिरहा […]
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